दर्द
इंतजार इतना भी ना करवाना कि फिर ना आ पाऊं,
उम्मीदों की उम्मीद भी कब तक जवां रहती है ...
एक पंतग की तो हसरत ही इतनी होती है,
जो उड़ जाए तो शोर और कट जाए तो शोर ..
वो खुश था कि उसे शायरी आती है,
उन्होंने तबीयत की रवां में डायरी बंद कर रखी थी ..
मेरे दिल की बात में हसरत थी पुरानी,
वो सुन न सकी और मैं कह न सका...
रात की खामोशी में धड़कनों का इतना शोर था,
मैं कह भी देता तो क्या वो सुन लेती?
ये यादें आज भी वो अधूरी तस्वीर पूरी करने में लगी हैं,
वरना सफर बीत जाने के बाद कौन याद रहता है ।।
क्यों ख़ामोशी है हम दोनों के दरमियान,
जिंदा होने का सबूत ही दे दो ।।
उनके देखने से जो आती है चेहरे पर रौनक,
वो समझते हैं की बीमार का हाल अच्छा है..
उनका हाल जानने में रातें बिता गया वो बेतकल्लुफ,
वो समझती रही कि निपट निक्कमा है ।।
उनकी आँखों का सपना देखा,
वो पूछते रहे कि रो क्यों रहे हो?
कोशिश की हर सुबह में वो सुगबुगाहट है,
की अब मेरा हर कदम पानी पर चलता है ।
सपना एक ही सही पर देखो जरूर,
खुली आँखों को हंसने का जरिया भी तो चाहिये।
लड़खड़ाते क़दमों को मेरे यार ने थिरकना कह दिया,
तब से शौक महफिलों के हैं ।
वो आये भी तो ऐसे जैसे रस्म बाकी थी,
इश्क की कीमत अदा कर देते तो अच्छा रहता ||
इश्क की कीमत तो, मेरे दोस्त इश्क ही है,
महफिलों में फिर भी गिन्नियां खनकती हैं ||
वो जुबान में नुक्स बड़ी तबियत से निकाल रहे थे,
उन्हें नहीं मालूम इश्क में धड़कने बंद हो जाती हैं||
अधुरा रास्ता कब मंजिल पाने का सुकून देता है,
ये और बात है की लोग मंजिलें ही बदल लिया करते हैं
वो हंसती थी कभी मेरी बात पर,
अब तो मेरी बातों की भी उम्र हो आई है ..
मालूम है मुझे की अब बातों में उनका जिक्र मुमकिन नहीं,
इसलिए दुआ के हर दौर में उनका ही नाम लेता हूँ
जिन पर भरोसा था की ताउम्र साथ देगें,
वो चाँदनी रात से आँखें चुरा रहें हैं ..
जिन्हें नरम गरम हथेलियों का शौक है
इश्क भी उनके हाथों बार बार मरता है,